कैसे कांग्रेस ने भारत के विभाजन के समय ही भारत के दूसरे विभाजन की नींव रख दी थी।
और वो था वक्फ एक्ट 1954 जिसे मुस्लिम ब्रदरहुड चैरिटी के नाम पर शुरू किया गया था। आरंभ में यह उतना खतरनाक नहीं था मगर वक्फ अधिनियम 1995 के अंतर्गत इसे असीमित शक्तियां प्रदान की गई।
इसके अंतर्गत एक वक्फ ट्रिब्यूनल होता है। यानी के एक विशेष मुस्लिम अदालत। ये कैसा दोगला सेकुलरिज्म है ? एक धर्म के लोगों के लिए विशेष अदालत ? क्यों इसकी क्या जरूरत आन पड़ी ? वक्फ ट्रिब्यूनल ऐसा है कि इसका निर्णय अंतिम और सभी पक्षों पर बाध्यकारी होगा। वह मामला फिर किसी अन्य अदालत में नहीं सुना जायेगा। निर्णय अंतिम होने का मतलब है की इस शरिया कोर्ट ने अगर कह दिया की संपत्ति वक्फ की है तो वक्फ की है बात खत्म।
सबसे पहले तो यह समझ लो कि वक्फ बोर्ड के पास भारतीय सेना और रेलवे के बाद सबसे ज्यादा जमीन है। यानी, वक्फ बोर्ड देश का तीसरा सबसे बड़ा जमीन मालिक है। वक्फ मैनेजमेंट सिस्टम ऑफ इंडिया के मुताबिक, देश के सभी वक्फ बोर्डों के पास कुल मिलाकर 8 लाख 54 हजार 509 संपत्तियां हैं। जो 8 लाख एकड़ से ज्यादा जमीन पर फैली हैं। सेना के पास करीब 18 लाख एकड़ जमीन पर संपत्तियां हैं जबकि रेलवे की चल-अचल संपत्तियां करीब 12 लाख एकड़ में फैली हैं। अब जो आंकड़ा जानने वाले हैं, वो चौंका देगा। साल 2009 में वक्फ बोर्ड की संपत्तियां 4 लाख एकड़ जमीन पर फैली थी।
मतलब साफ है कि बीते 13 वर्षों में वक्फ बोर्ड की संपत्तियां दोगुनी से भी ज्यादा हो गई हैं। आप भी जानते हैं कि जमीन का विस्तार तो नहीं होता। फिर वक्फ बोर्ड के हिस्से जमीन का इतना बड़ा हिस्सा, इतनी तेजी से कैसे जा रहा है ? इसका एक कारण है की वह किसी भी संपत्ति पर अपना कब्जा जमा के उसको वक्फ के नाम दिखा देते हैं। और वक्फ ट्रिब्यूनल की वजह से आप कोर्ट भी नहीं जा सकते आपको उनकी ही शरिया अदालत का फैसला मानना होगा। और आप जानते हैं शरिया अदालत क्या फैसला देगी।
अब प्रश्न यह उठता है की वक्फ बोर्ड ऐसे ही वैध और अवैध रूप से संपत्ति घेरते घेरते जिस दिन वह सबसे बड़ा जमीन मालिक बन जाएगा। क्या उस दिन वह खुद को नया राष्ट्र घोषित नहीं कर देगा ?
या उसने ऐसा नहीं भी किया तो हम हिंदू अपने ही देश में एक दिन भारत के किसी कोने में सिमटे हुए होंगे। और आप कहीं अपील भी नहीं कर सकते।
No comments:
Post a Comment